template section ? "width=device-width,initial-scale=1.0,minimum-scale=1.0,maximum-scale=1.0" : "width=1100"' name='viewport'/> PRADEEP PRADUMAN: Han mai hindu hu

Search This Blog

Friday, 15 January 2021

Han mai hindu hu

 

हाँ मुझे गर्व है कि मैं आर्यवर्ती हिन्दू हु।



ये ब्रह्मांड हमारी जदी है 

ये धरती हमारी गदी है 

मुझमे समाहित चार युग और 

सहस्त्रों शदी है

मुझमें धरती सी सहनशीलता है 

तो अग्नि सी ज्वाला भी 

मुझमे राम का आदर्श है तो

परशुराम का क्रोध भी

मैं महादेव के शीश पर सजा सीतल इंदु हु 

तो राम के ललाट पर लगा चंदन का बिंदु हु

हाँ मुझे गर्व है कि मैं आर्यवर्ती हिन्दू हु।।


ब्राह्मण के सृष्टि पर हिन्दू प्रसार की अभिलाषा हु मैं

वैश्य का बही-खाता हूं मैं

यादव का हल, राजपूत की ढाल तो

शुद्र का कुदाल हु मैं ।

भिक्षुक के लिए दानी तो 

लुटेरों के लिए काल हु मैं 

मैं दूत नही स्वयं ईश्वर हु , कुरुक्षेत्र में कृष्ण द्वारा कहा वो व्यक्तव्य हु मैं 

धर्म स्थापना के लिए द्वापर में हुआ महाभारत वाला युद्ध हु मैं

अधर्मियों का अधर्म देख क्रुद्ध हु मैं

मैं गंगा जितना पवित्र और माता के हृदय इतना शुद्ध हु मैं

सवाल भी मैं 

जवाब भी मैं

तर्क भी मैं कुतर्क भी मैं

और संदेह से उठा हर वो परंतु और किन्तु हु मैं 

हाँ मुझे गर्व है कि मैं आर्यवर्ती हिन्दू हु।



शुरुआत भी मैं और मै ही हु अंत।।

पाप भी मैं और अभिषाप भी मैं

मैं ही साहस और भय भी मैं

नाम भी मैं और काम भी मैं

वर्ण भी मैं कर्ण भी मैं

शुद्र भी मैं और स्वर्ण भी मैं

मैं ही हु कृषक उर मैं ही हु संत।।



ऋषि कश्यप का ज्ञान  भी मैं

राजा परीक्षित का भगवान वामन को दिया दान भी मैं

श्री राम द्वारा सीता के लिए किया विलाप भी मैं 

रावण द्वारा स्त्री हरण का पाप भी मैं

पिता द्वारा परशुराम को अपनी माता का सर् काटने का दिया हुआ वो आदेश भी मैं

और पापियो का 21 बार धरती से समूल नष्ट करने का वो प्रयास भी मैं

क्षत्रिय  होने पर गुरु द्वारा  मिला अभिशाप भी मैं

और कान्हा द्वारा रचाई लीला रास हु मैं

और स्त्री के सम्मान के लिए गुरु शिष्य के बीच हुए युद्ध का विनाश हु मैं।

युधिष्ठिर का धर्म तो दुर्योधन का विशाल दल हु मैं

कृष्ण की नीति तो सकुनी का छल हु मैं

अर्जुन का अभिमान तो कर्ण का बल हु मैं

अभिमन्यु का साहस तो बलराम का हल हु मैं

चंद्रगुप्त का हौसला तो चाण्क्य की चतुराई हु मैं

और 20000 सौनिकों के साथ 2 लाख मुगलों को छठी का दूध याद दिला देने वाला हल्दीघाटी का स्मरण हु मैं।

और इस भूमंडल के सबसे पुरानी और सबसे विकसित सभ्यता घाटी सिंधु हु 

हाँ मुझे गर्व है कि मैं आर्यवर्ती हिन्दू हु।

हाँ मुझे गर्व है कि मैं आर्यवर्ती हिन्दू हु।

                           --प्रदीप ओझा



No comments:

Post a Comment