किसान नहीं खालिस्तानी गुंडे थे
देख लिया तुम्हारा राष्ट्र प्रेम
देख ली तुम्हारी देश भक्ति।
देख लिया तुम्हारा जोर
और देख लिया तुम्हारी शक्ति।।
राष्ट्र की आन में जो तुमने गुस्ताखी की
हम हिला देंगे उस सरकार की नींव यदि तुमको माफी दी
तुम गलत हो यदि ये सोचते हो
की माफ होगी हर गलती उसकी
जिसके हाथ मे तिरंगे झंडे थे
पता चल गया पूरे भारत को
तुम किसान नहीं,
खालिस्तानी गुंडे थे ।।-2
देश ने तुमको सम्मान दिया
तुमने देश का मान लिया।
समझना चाहिए था देश को
तुम्हारी फितरत ,
जब तुमने मार्च के लिए
गणतंत्र दिवस को ठान लिया। ।
किसान के मुखौटा पहन
खालिस्तानी बैठे थे।
और police ने जब परमिशन न दी,
तो मीडिया में आकर ऐठे थे।।
एक एक को सजा मिलेगी
जिनके हाथ मे तलवार और
लोहे की डंडे थे।
पता चल गया पूरे भारत को
तुम किसान नहीं,
खालिस्तानी गुंडे थे ।।-2
नियम को रखा ताख पे
सिद्धान्त मिलये खाक में।
आये थे तुम मुठी भर
और संख्या बता रहे हो लाख में।।
तय रुट से हट गए
अपने बातों से तुम पलट गए
आयी जब जवाब देने की बारी
तो कहते हो कि नवयुवक थे
भटक गए।।
अरे मनसा तुम्हारी हम जान
तुम्हारा चेहरा पहचान गए
पता चल गया सबको ।
तुम किस मंसुबे को साधने आये
लाल किले की प्राचीर पर फहराने को झंडा
तुम गद्दार खालिस्तानी अनेको
हथकंडे अपनाए थे
तुम्हारे हाथ मे तिरंगे नहीं
खालिस्तानी झंडे थे।
पता चल गया पूरे भारत को
तुम किसान नहीं,
खालिस्तानी गुंडे थे ।।-2
BY- प्रदीप ओझा
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