चाहत , एक प्रेम कथा
आओ सुनाये एक कहानी जिसमें जिसमे न थे राजा न रानी,
एक थी मालिकाये हुस्न, जो घूमती थी होकर बेगानी।
एक था परवाना जो था उस मालिकाये हुस्न का दिवाना,
जब वो चलती थी तो चोरी छुपे उनको देखा करता था,
और मन ही मन मुस्कुराया करता था।
मालिकाये हुस्न को था अपने हुस्न पर गुरुर ,
तो लड़के को था अपने चाहत पर विश्वास ,
सब कहते थे ये गिरेगा खाई में जरूर ,
लेकिन वो अपने चाहत को पाने की लगाकर बैठा था आस।
हमेशा देखा करता था मालिकाये हुस्न की राह ,
और उनको एक नजर देखकर मन ही मन भरा करता था आह
बीत गए कई दिन बीत गए कई माह ,
पर नहीं पूरी हुई मालिकाये हुस्नको पाने की उसकी चाह।
मालिकाये हुस्न भी ये बात रही रही थी जान ,
पर नहीं बनाना चाहती थी उससे अपनी पह्चान ,
मालिकाये हुस्न को था ये डर की
कहीं हो न जाये वो अपने ही शहर में बदनाम।
एक दिन चल रही थी मालिकाये हुस्न लग गई ठेस ,
जब तक लड़के ने उनको संभाला , तब तक हो चुकी थी वो बेहोस
जब आँखे खुली तो दोनों की गई नजरे टकरा,
दोनों ने देखा एक दूसरे को और दोनों दिए मुस्कुरा।
अब तक थे दोनों बेगाने'
पर अब लिख गई दोनों के अफ़साने
होने लगे ही चर्चे शहर में ,
की हो गए है दोनों दिवाने।
मालिकाये हुस्न के पिता तक पहुँच गए ये संदेश ,
उनके पिता लौट आये अपने देश ,
रखने लगे वो दोनों पर कड़ी नजर ,
बरसाने वाले थे वो दोनों पर अपना कहर।
हो गया था उनदोनों पर दोनों पर प्यार का असर गहरी ,
और अब वो मिलने लगे थे चोरी चोरी ,
मालिकाये हुस्न के पिता के पास गई खबर पहुँच ,
सोचने लगे पिता पानी सर से ऊपर हो रहा करना पड़ेगा कुछ।
जा रहा था खरीदने फूल ,
उधर से आयी गाड़ी उड़ाते हुए धुल ,
गाड़ी का चालक पी रखा था शराब ,
मरी टककर लड़के में निकल गई लड़के की जान,
सुना जब ये खबर मालिकाये हुस्न ने हो गई हालत ख़राब ,
देखा जैसे ही ऍबे प्रेमी की लास निकल गए उनके भी प्राण।
धन्यबाद
प्रदीप प्रदुमन
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