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Tuesday, 26 December 2017

साल 2018  का आगाज हो चुका है। पूरी दुनिया इस नए साल का खुशियां मनाकर स्वागत कर रही हैं।
हम सबको पता है की 2018 का आगाज हो चूका है।  और आज के तिथि में लगभग सभी धर्म व समुदाय के लोग 1 जनवरी को  मनाया जाना नव वर्ष सर्वाधिक प्रचलित है लेकिन इसके बाद भी विभिन्न धर्मों व समाजों द्वारा भिन्न-भिन्न तिथियों पर नव वर्ष मनाए जाने की परंपरा आज भी कायम है। आईए जानते हैं किस धर्म में नया साल कब मनाया जाता है-
हिन्दू नव वर्ष 
हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। इसे हिंदू नव संवत्सर या नव संवत कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल का आरंभ भी होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अप्रैल में आती है। इसे गुड़ी पड़वा, उगादि आदि नामों से भारत के अनेक क्षेत्रों में मनाया जाता है।
हिंदू नव वर्ष का महत्व
भले ही आज अंग्रेजी कैलेंडर का प्रचलन बहुत अधिक हो गया हो लेकिन उससे भारतीय कलैंडर की महता कम नहीं हुई है। आज भी हम अपने व्रत-त्यौहार, महापुरुषों की जयंती-पुण्यतिथि, विवाह व अन्य शुभ कार्यों को करने के मुहूर्त आदि भारतीय कलैंडर के अनुसार ही देखते हैं। इस दिन को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा तो आंध्र प्रदेश में उगादी पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही वासंती नवरात्र की शुरुआत भी होती है। एक अहम बात और कि इसी दिन सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। अत: कुल मिलाकर कह सकते हैं कि हिंदू नव वर्ष हमें धूमधाम से मनाना चाहिये।

ईसाई नव वर्ष
ईसाई समाज 1 जनवरी को नव वर्ष मनाता है। करीब 4000 वर्ष पहले  बेबीलोन में नया वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी। तब रोम के तानाशाह जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। तब से आज तक ईसाई धर्म के लोग इसी दिन नया साल मनाते हैं। यह सबसे ज्यादा प्रचलित नव वर्ष है।
इस्लामी नव वर्ष
इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम महीने की पहली तारीख को मुस्लिम समाज का नया साल हिजरी शुरू होता है। इस्लामी या हिजरी कैलेंडर चंद्र आधारित है, जो न सिर्फ  मुस्लिम देशों में इस्तेमाल होता है, बल्कि दुनियाभर के मुस्लिम भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए इसी का इस्तेमाल करते हैं। 
सिंधी नव वर्ष
सिंधी नव वर्ष चेटीचंड उत्सव से शुरू होता है, जो चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है। सिंधी मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था जो वरुणदेव के अवतार थे।
सिक्ख नव वर्ष
पंजाब में नया साल वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो अप्रैल में आती है। सिक्ख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार होला मोहल्ला (होली के दूसरे दिन) नया साल होता है।
जैन नव वर्ष
ज़ैन नववर्ष दीपावली से अगले दिन होता है। भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन यह शुरू होता है. इसे वीर निर्वाण संवत कहते हैं।
पारसी नव वर्ष
पारसी धर्म का नया वर्ष नवरोज के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर 19 अगस्त को नवरोज का उत्सव पारसी लोग मनाते हैं। लगभग 3000 वर्ष पूर्व शाह जमशेदजी ने पारसी धर्म में नवरोज मनाने की शुरुआत की। नव अर्थात् नया और रोज यानि दिन।
हिब्रू नव वर्ष
हिब्रू मान्यताओं के अनुसार भगवान द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे । इस सात दिन के संधान के बाद नया वर्ष मनाया जाता है। यह दिन ग्रेगरी के कैलेंडर के मुताबिक 5 सितम्बर से 5 अक्टूबर के बीच आता है ।

अगर आप लोगो को मेरी यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट करके मुझे बताये और अगर इससे संभंधित आपके पास कोई जानकारी हो तो कमेंट करे 
               
            धन्यबाद 
प्रदीप प्रदुमन                                                                                  प्रदीप ओझा

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